Sunday, August 15, 2010

भारत में अंग्रेजी का दुष्प्रभाव.

आज भारत को स्वतंत्र हुए ६३ वर्ष हो गए है लेकिन आप सभी जानते है की भारत की प्रगति के बारे में .जहा एक ओर करोड़पतियो की संखया बढती जा रही है तो दूसरी तरफ गरीबों की संख्या ४४ अफ़्रीकी देशो से भी ज्यादा है.जहा एक तरफ अंग्रेजी की मानसिकता वाले है। तो दूसरी तरफ हिंदी व् अन्य भाषा वाले लोग है.भारत में अंग्रेजी का प्रचलन लोर्ड मेकाले की शिक्षा पद्दति से आया । अंग्रेजो के समय में भारत में अंग्रेजी जानने वालों की
संख्या बहूत कम थी । कंपनी को क्लर्को की आवश्यकता थी जो कंपनी के काम काज को देख सके । लेकिन आज अंग्रेजी का इतना प्रभाव बढ़ गया कि हर कोई अंग्रेजी के पीछे पड़ा है। आप अंग्रेजी के बिना साक्षात्कार पास कर नहीं सकते .अभी कुछ दिन पहिले भरद्वाज जी से मुलाकात हुयी जो कि M। टेक कर चुके थे उन्होंने बताया कि में एक साक्षत्कार पास नहीं कर पाया और बताया कि ये साक्षात्कार वह ही पास क़र पाते है जिनकी फर्राटेदार अंग्रेजी हो लेकिन ज्ञान के मामले में चाहे कम हों . ओर इसलिए अच्छे पड़े लिखे व् ज्ञानवान लोग उच्च पदों पर नहीं आ पा रहे है । में इसलिए भी अंग्रेजी को में देश के विकास में बाधक मानता हूँ। क्योकि हर आम आदमी इस विदेशी भाषा को समझ नहीं सकता .

Saturday, October 24, 2009

भारत में मंहगाई और गरीब जनता

भारत में मंहगाई लगातार बदती जा रही है .और गरीबो की संख्या में भी लगातार वृद्धि होती जा रही है । लेकिन इस मंहगाई को रोकने के ज़रूरी कदम नही उठाये जा रहे है .इस मंहगाई को विकास से जोड़ा जा रहा है । में नही मानता कि विकास से कोई सम्बन्ध है.आज विज्ञापनो में ही करोणों बहाए जा रहे है.घटिया उत्पादों को विज्ञापन के जरिये बेचा जा रहा है.भारत में जब तक गरीबो कि संख्या बढती जायेगी में नही समझता कि विकास कि गति भी बढ़ पायेगी .और तो और इस देश के बुद्धिजीवी वर्ग भी इस महगाई कीतरफ ध्यानआकर्षित नहीं कर रहा है। इस मध्यम वर्ग व् बुद्धिजीवी वर्ग को भी सब कुछ मिल रहा है आज वह कारो में घूम रहा है । और ठाट से खा रहा है उसे इस मंहगाई से क्या लेना देना । ये देश के नेता भी वातानुकूलित कारों व् बंगलो में रह रहे है । उन्हें तो इस देश से कोई वास्ता नही रहा है । एक बार जीत जाने के बाद वो संसद व् जनता के बीच गायब हो जाते है और न जाने किस अय्याशी में डूबे रहते है? । इन सांसदों को सांसदनिधि दी जाती है उसे भी वो विकास पर खर्च नही कर पाते है. और एक दूसरे पर दोषारोपण करते रहने में व्यस्त है . एसा लगता कि इस देश के नेताओ से इंसानियत नाम की चीज गायब हो गयी है .जब तक ये नेता नहीं सुधरेंगे तब तक इन उच्च अधिकारियो व् कर्मचारियों पर भी नियंत्रण नहीं हो पायेगा । और जब तक इस देश के शिक्षितलोग इंसानियत का व्यव्हार नहीं करते तब तक इस आम जनता पर भी कोई अच्छा असर नहीं होने वाला है क्योकि एक कहावत है की यथा राजा तथा प्रजा .जनता भी इन उच्च शिक्षित लोगो के व्यव्हार से ही सीखती है । गरीब जनता के पास न तो पड़ने व् बच्चो को पढाने के लिए पैसा है और न ही ठीक से खाने व् कपड़े पहिनने के लिए. लोग सिर्फ पैसो की तरफ भागे जा रहे है और अपनी विवेक का इस्तेमाल नहीं कर रहे है । क्या पैसा ही सिर्फ यही मानव की जरूरत है .जरा सोचो ये मानव जन्म किसलिए मिला है.जरा ये भी सोचो मानव जाती का विकास एक दूसरे के सहयोग से ही हो पा हो पाया है और कितने हजारो वर्ष लग गए इन कारों व् वातानुकूलन तक लिए .कितनो ने ही अपनी जान की कुर्बानी दी है.जरा सोचो की आप कोई यहा १००० वर्षो के जीने के लिए तो आए नहीं इस धरती पर । क्यो न हम इस छोटे से जीवन में इंसानियत सीख्लें .और गरीबो व् आमिरो को साथ लेकर चलें .और गरीबो का भी ख्याल रखें .मदर टेरेसा ने ठीक ही कहा है की इन गरीब लोगो को रोटी से ज्यादा प्यार व सहानुभूति की जरूरत है.